Thursday, December 3, 2015

अँधेरा और रोशनी




खोजने चला मैं अँधेरे में रोशनी,
पता चला उस अँधेरे के पीछे का कारण,
जब पूछा मैंने अँधेरे से, की तुम् और रोशनी साथ क्यों नहीं मिल सकते?
अँधेरे ने हँसकर कहा,
की मेरी पहचान मेरेकालेपनसे है,
मेरी पहचान मेरी खामोशी से है,
रोशनी और मैं कभी साथ नहीं सकते,
अगर साथ जाएँगे तो हमारा मोल दुनिया को समझ नहीं पाएगा।
अँधेरे ने कहा की हम और रोशनी कभी साथ नहीं दिख सकते,
क्यों की रोशनी मेरे अंदर ही कहीं समाहित है,
भले ही हमारे गुण अलग-अलग क्यों ना हो,
लेकिन हमारे होने का और ना होने का एहसास सभी को होता है,
शायद यही वजह है की हम साथ ना हो कर भी सबसे पास है!

Sunday, November 29, 2015

एक आखिरी खत...


शायद तुम सुन रही होगी! या फिर शायद नहीं। हो सकता है की मैं आज के बाद तुम्हे अपनी बातें सुनाने के लिए शायद ना रहूँ। बस कुछ बातें तुम्हें बतानी थी। शायद जब तुम यह पत्र पढ़ोगी तब तुम्हे मेरी याद आए। लेकिन आज मेरी जगह वो तकिया होगा जिसे तुमने मेरा नाम दिया था,उसे गले लगा लेना। तुम्हारा एहसास मुझ तक पहुँच जाएगा।  

लगता है जैसे कल ही की बात थी जब हम मिले थे,याद तो होगा ही तुमको? होगा भी कैसे नहीं,एक-एक चीजें तुमको याद रहती थी और मैं भूल जाया करता था। लेकिन उन गलतियों में भी मेरा प्यार था। जो की हर वक्त चाहता था की तुम मेरी हर गलतियों पर मुझपर गुस्सा करो। वो बात यह है की गुस्से में तुम बहुत ही प्यारी बच्ची मान लगती हो। फिर जब तुम इतनी प्यारी लग सकती हो तो मैं गलतियों को क्यूँ ना दोहराऊँ। लेकिन यह बात भी नही है की तुम बस गुस्से में प्यारी लगती हो लेकिन बात यह भी है की तुम हर वक्त मुझे प्यारी लगती हो। चाहे सुबह की पहली किरणें क्यूँ ना हो,जो तुम्हारे चेहरे पर गिर तुम्हें मेरा एहसास देतीं हों। या फिर रात में चाँद की रोशनी। सारे ही वक्त तुम हद से ज्यादा प्यारी लगती हो।

जब तुम मुझे बड़े प्यार से मुझे अपने हाथों से खाना खिलाती थी तब मैं जान बूझ कर बच्चों की तरह हरकत करता था,मैं चाहता था की तुम अपने कोमल हाथों से मुझे खाना खिलाओ। माना की मैं वो सब नहीं कर पाता था जो तुम मेरे लिए करती थी मानता हूँ की इस वजह से शायद तुम्हें बहुत ज्यादा दु: हुआ होगा। लेकिन मैं सच में ऐसा ही था, थोड़ा नासमझ थोड़ा नादान। जो मैं अपनी गलतियों को मान नहीं पाता था तो तुम्हें और ज्यादा दु: होता होगा लेकिन क्या करूँ दिल तब भी बच्चे के समान था।
अच्छा तुमको याद तो होगा ना वो पहली फिल्म जो सिनेमा हाल में हमने साथ में देखी थी? मुझे याद है क्यूँकि टिकटों को मैने आज भी संभाल कर रखा हुआ था। माना थोड़ी भूलने की बीमारी है लेकिन इतनी भी नहीं! मुझे आज भी वो दृश्य याद है जब तुमने मेरा हाथ सभी के सामने पकड़ कर मेरे साथ चलने का वादा किया था। 

मुझे आज भी याद है जब तुम मेरी एक गलती से गुस्सा कर के मुझसे दूर चल गई थी। मुझे अच्छे से याद है कि बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद ही मानी थी तुम। कितने अजीब से थे हम दोनों की कई बार बिना बातों के भी हम लड़ते थे। लेकिन वो लड़ाई बस कुछ देर की ही होती थी,वो क्या है ना हम एक दूसरों से बिना बात किये बगैर रह ही नहीं पाते थे। बस इंतजार यही रहता था की पहले फोन कौन करेगा। क्या दिन थे वो भी सोचता हूँ तो हँसी भी आती है और रोना भी। क्यूँकि अब वो दिन नहीं रहे। रहते भी कैसे क्यूँ की गलती सारी मेरी ही थी। जो मैं तुम्हें अपना प्यार कभी समझा नहीं सका!
लेकिन हर एक चीज की शायद वजह होती है।भगवान भी नहीं चाहते थे की हम साथ रहे। आज तुम्हारी शादी हो रही है। तुम बहुत खुश होगी। तुम्हारे घरवाले सबसे ज्यादा खुश होगें। तुम्हें सबसे ज्यादा खुश तुम्हारा जीवनसाथी ही रख पाएगा। मैं तुम्हारे काबिल कभी नहीं था।


लेकिन सच्चाई एक और भी थी जो की सिर्फ मुझे पता था की मैं और ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाता। मेरी हाथों की लकीरों में तुम्हारा नाम तो था लेकिन उसमें उम्र वाली जो एक रेखा होती है ना वहीं कम थी। इन्हीं वजहों से मैं तुम्हें स्वंय से दूर करता चला गया। मेरे इस दुनिया से जाने से पहले मैं चाहता था की तुम्हें कोई ऐसा मिले जो तुम्हें सबसे ज्यादा समझ सके और सबसे अहम बात जिसे तुम सबसे ज्यादा समझ सको। इसलिए मैंने अपनी इस बीमारी के बारे में तुम्हें बताना नहीं चाहा,मैं क्या बताता मुझे भी काफी देर से पता चला था।

मैं पूरे दिल से चाहता था कि तुम्हारी शादी में मैं सकूँ लेकिन क्या है ना भगवान को मुझसे मिलने की ज्यादा जल्दी थी। वो पूरा दिल तो भगवान के पास जाने वाला था तो मैं क्या सकता था। तत्काल का टिकट उन्होंने तुम्हारी शादी से पहले का कटवा कर रख दिया है।तो मुझे अब जाना पड़ेगा। वो क्या है की मैं तुम्हें इंतजार करवा सकता था लेकिन वो भगवान जी तो मेरा इंतजार नहीं कर सकते! तो अपना अच्छे से ख्याल रखना।

जरूरी नहीं की हर प्यार का अंत बहुत बुरा हो, वो क्या है ना कि कुछ कहानियों को लिखने वाले मरने के बाद भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं। कई बार वक्त और हालात आपको अपने प्यार से दूर नहीं करते लेकिन आपको स्वंय अपने प्यार को दूर करना पड़ता है। दिक्कतें हर किसी के जीवन में आती हैं लेकिन जरूरी नहीं की हर तरह की दिक्कतों को हम हल कर पाएँ। कई बार उन्हीं के साथ मरना पड़ता है। अपना अच्छे से ख्याल रखना। बारिश में भींगना तुम्हें पसंद है लेकिन भींगने के बाद सर्दी ना हो ध्यान रखना! अब और क्या-क्या कहूँ,तुम्हे तुम्हारा ख्याल रखने वाला जीवन साथी मिल गया है। बहुत खुश रहो,आबाद रहो। मैं भगवान के पास जाकर हमारे अगले जन्म की कहानी को सही राह दिखाता हूँ। चिंता मत करना अगले जन्म में हम साथ-साथ सात फेरे जरूर लेंगे।



(ऊपर दी गई कहानी काल्पनिक है। लेकिन प्यार के सही मायने को कुछ शब्दों में पहुँचाने की एक छोटी सी कोशिश की गई है मेरे द्वारा।)